Ajay

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जुस्तजू भाग --- 6

ए जिन्दगी बहुत अंधेरा है, उजालों की तलाश है।

हम खुशियों के जूगनुओं से गुज़र कर लेंगे।।

ये अहसास !!    सुना भर ही था पर जब महसूस हुए तो संभल ही नहीं रहे थे। अनुपम कोल्ड स्टक हुआ था रात को, तो आरुषि रसोई में कॉफी ढूंढ रही थी। पर दूध ??

"वेल डन वाइफी !! तो मीठे में आज कॉफी मिलेगी आपके हाथों से !!" 

अनुपम मिल्क पाउडर का डब्बा उसके हाथों में देते हुए बोला।

"वाइफ ???!!!! यह कब हुआ ?? कहां है वो ?? आरूषि ने भी चुहल की।

"सर्टिफाइड मिली है मुझे तो। वो देखो, लाल मुहर लगी है और मेडल भी जीता है उसने।"अनुपम ने आईने की ओर उसे घुमाकर सिंदूर और मंगलसूत्र की ओर ईशारा करते हुए टोंट मारा।

"क्या बोले ?? फिर से बोलिए तो ?? आरूषि भड़क गई।

अनुपम को उसकी पुरानी मासूम सी पर खतरनाक शेरनी दिख गई थी।

"सरेंडर, नाचीज को माफ़ी !! पर पहली रसोई में कड़वी कॉफी कौन नवविवाहिता  पिलाती है ?"

"ओह खीर चाहिए आपको !! बर्फ सी ठंडी चलेगी !! चुपचाप से बिस्तर में जाकर रजाई ओढ़ लीजिए।। हुंह, पहले ढंग से ठीक तो हो लीजिए। और मेरे हाथ खीर भले ही बनाना नहीं जानते पर दवाई बहुत अच्छी तरह पिलाते हैं। पीनी हैं ??

"अरे कुछ भी पिला दीजिए आपके हाथों से, अब यही हमारा भाग्य है।"

"हां तो, अतरंगी शादी है तो बीबी भी वैसी ही होगी न ! और कुछ न कर सकूं पर आपकी आदतों का ईलाज जरूर कर दूंगी। वैसे आप बताइए आप क्या काम करते हैं ?"

"फिलहाल तो सिर्फ अदना सा इंजीनियर हूं। बस बेरोजगार हूं।" वह अपने वर्तमान कार्य को छुपाकर उसे सरप्राइज देना चाहता था। बाहर फिर बर्फबारी शुरू हो गई थी।

"उफ्फ ये मौसम !! अब खाने के लिए क्या करेंगे ?"

"हां है तो यह समस्या। पर आपस में प्यार की बातों से पेट भर लेंगे।
   
"मज़ाक छोड़िए। अगर ऐसा ही चला तो मैं एम.एस. की चॉइस कैसे भर पाऊंगी?"

"हो तो गई आपकी एम.एस." आरूषि ने उसकी ओर आंखे तरेरी।
          "अरे बाबा मास्टर शादी" वह उसका स्ट्रेस कम करना चाहता था। चिंता तो उसे भी हो रही थी। वह इमरजेंसी में लब्सना (लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी मसूरी) से छुट्टी लेकर आया था और उसे भी 3 दिनों में रिर्पोट करना था। "पर पहले कुछ खाने को बनाना पड़ेगा न।"

"अब क्या करें ?" आरूषि फिर से परेशान हो गई।

तभी दरवाजा खटखटाया। बाहर केयर टेकर खड़ा था। खाना और लकड़ियां साथ थी उसके।

"साहब, खाना लाया हूं। माफ कीजिएगा कल के लिए। आप चले गए तो सोचा था कि बनवाकर बाद में दे आऊंगा पर तूफ़ान की वजह से आना असंभव था। मैं गर्मी के लिये लकड़ियां सुलगा देता हूं। बिजली बर्फबारी में अक्सर कट जाती है।"

 "ठीक है पर ये मौसम कब तक ठीक होगा ?" उसने पूछा।

"शायद कल तक ठीक हो जाए। आप चिंता न कीजिए मैं सारी व्यवस्था कर दूंगा। और रोड भी ठीक हो जाएगी। बस 30 किलोमीटर तक की समस्या है।"

दोनों का स्ट्रेस कुछ कम हुआ। उसके जाते ही अनुपम फिर शुरु हो गया।

"वाह अनुपम बेटा !! तेरा हनीमून यहीं लिखा था। अब मां को पता चलते ही पिटाई पक्की।"

"हा हा हा, तो पतिदेव का स्वागत बढ़िया होना तय है।" आरूषि उसकी बात पर हंस पड़ी।"

"पिटना तो आपको भी पड़ेगा न !"

"मुझे कुछ नहीं होगा। जो कह सकते थे वे ऊपर हैं उनके पास।" आरूषि की आंखों में आंसू और चेहरे पर असीम दर्द था।

"अरे छोड़ो न, पहले इस स्पेशल खाने का लुत्फ़ उठाते हैं।" उसने आरूषि के मुंह में जल्दी से कौर डाल दिया। और अपनी बातों और हरकतों से उसका ध्यान हटाने का प्रयास करने लगा। आखिर में वह सफल रहा।

शाम तक आरूषि काफी संभल चुकी थी और उसने अपने वर्तमान को स्वीकार लिया था।

"प्लीज़ एक फोटो हो जाए साथ में!"अनुपम ने कैमरे का टाइमर सेट करते हुए कहा।

दोनों एक दूसरे के साथ को स्वीकार चुके थे और रात फिर से एक दूसरे की बांहों में कट गई थी। अबकी बार पूरी तरह से प्यार में।
सुबह एक नया संदेश लाई थी बर्फबारी ज्यादा नहीं हुई थी।12 बजते बजते रास्ता भी खुलने की खबर और खाना लेकर केयर टेकर आ गया था।

दोनों की मंजिलें फिर से अलग होने वाली थी। चंडीगढ़ पहुंचते ही अनुपम ने उससे जल्दी ही दिल्ली आकर ले जाने का वादा किया।

"मम्मी बेहद अनुभवी और समझदार है वे मान जायेंगी और हमारा दोष भी तो नहीं है।"अनुपम ने उसे दिल्ली की ट्रेन में बिठा दिया और ख़ुद कार से ही रवाना हो गया।

आरूषि अलग एहसासों में लिपटी आगे के सफ़र पर चल दी। आने वाली परीक्षा से अनजान।


बात दिल की:-

प्रबुद्ध पाठकगण। आपके पिछले भाग में मिले प्रतिसाद से अभिभूत हूं।🙏🏻🙏🏻
पर अपनी एक कमी आपसे बांटना चाहता हूं। लगभग 24 वर्ष बाद फिर से लिखना शुरू किया है वो भी अपनी इसी माध्यम से बनी एक बहिन के इसरार और सहयोग से। तो कमी यह है कि आज के संवादों और शादी के रिवाजों, गीतों, डांस और (तथाकथित) शर्माने की सीक्वेंस लिख पाना मेरे बस का नहीं। अतः जिन्हें इसकी कमी रचना में महसूस हो उनसे अग्रिम क्षमा प्रार्थी 🙏🏻🙏🏻
और धन्यवाद अपनी बहन आलिया खान जी का







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19 Comments

Seema Priyadarshini sahay

06-Feb-2022 05:29 PM

बहुत शानदार

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Ajay

07-Feb-2022 01:53 AM

🙏🏻🙏🏻

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Shaqeel

24-Dec-2021 02:31 PM

Good

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Ajay

24-Dec-2021 02:51 PM

🙏🏻

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Ab tak ki kahani lajvab h apki,

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